चिंटू जी का प्यार-हास्य कविता
कॉलेज में जब लिया दाखिला
निकले स्कूल पढ़के
हर लड़की को देखकर
दिल चिन्टू जी का धड़के
एक न्यू एडमिशन प्रिंसी ने
देखा उसको पलटकर
थोड़ी सी शरमाई फिर
चली गई मुस्काकर
इसके बाद तो पूछो न
चिंटू जी का हाल
सोते जागते रहता बस
प्रिंसी का ही खयाल
मौका मिलते ही इक दिन
चिंटू ने उसको किया प्रपोज़
झुका के नज़रें प्रिंसी ने
एक्सेप्ट किया रेड रोज़
अब तो दोनों क्लास के बाद
कैंटीन में बैठे रहते
और लेट नाइट में भी
वाट्सएप पर बाते करते
एक दिन वो बोली
होकर बहुत उदास
फोन में बैलेंस खत्म हुआ
अब कैसे करेंगे बात
"फिक्र करो मत मैं हूँ न"
बोले चिंटू जी स्टाइल से
"पर डे थ्री-जीबी रिचार्ज" कराया
झटपट उसके मोबाइल में
प्रेम डगर पर चलते चलते
जाने कब बीत गये दिन सात
याद रहे वन वीक एनिवर्सरी
सो प्रिंसी ने मांगी सौगात
चिंटू जी भी सच्चे आशिक
पूरा दिन किया प्यार के नाम
मूवी देखी,पिज़्ज़ा खिलाया
ड्रेस दिलाई सोचे बिन दाम
जेब हो गई ढीली उसकी
प्यार को यादगार बनाते
पास के पैसे खत्म हुए सब
महीने की बीस तारीख आते
बीत रहे थे दोनों के दिन
बाबू शोना करते करते
यारों से ले उधार चिंटू
जोमैटो का बिल पे करते
लेकिन प्रिंसी को कभी कभी
चिंटू के प्यार पे शक हो जाता
जब भी चिंटू गिफ्ट देने के
नाम से ही घबराता
लड़ते-चिढ़ते एक दिन
दोनों का ब्रेकअप हो गया
पॉकेट खाली हुई जब
तो इश्क़ भी हवा हो गया
अब तो कहते चिंटू ज्ञानी
कि प्रीत न करियो कोय
जो जेब मे हो रोकड़ा
तभी गर्लफ्रैंड खुश होय
✍️प्रीति ताम्रकार
जबलपुर
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