अहसास अकेलेपन की भाग ३

मुझे याद आ रहा था कि बचपन में मैं एक बार एक  रंगीन मछली🐠 लेकर आया था, और मैने उसे एक जार में पानी डाल कर उसमें रख दिया था|फिर मैंने उसे खाने के लिए कुछ दिया, पर वो अनमनी सी घूमती रही, और उसने कुछ भी नहीं खाया|थोड़ी देर बाद में मैंने देखा वो पानी की सतह पर जाकर बैठ गई|अगले दिन मैंने देखा कि वो मछली🐠 पानी में उल्टी पडी़ हुई है|उस दिन के बाद मैं कभी भी मछली नहीं लेकर आया|मुझे यह किसी ने भी नहीं बताया था कि वो अकेले थी तो इसलिये मर गयी, अगर इसके साथ और भी मछलियाँ  होती तो वो बेचारी छोटी सी मछली न मरती|

फिर मैंने सोचा! कि इस संसार में आदमी हो या या पेड़🌳 पौधे🌱 कोई भी अकेले नहीं रह सकते हैं। हर एक को साथ की जरूरत होती है|
हमें भी अपने आसपास देखना चाहिए कि अगर कोई भी अकेला हो तो उसे साथ देकर उसे मुर्झाने
से बचाएं, और अगर हम भी अकेले हैं तो किसी के साथ वक्त गुजारें और अपने को मुर्झाने से बचाऐं|क्योंकि अकेलापन संसार की सबसे बड़ी सजा है। 

गमले को तो गमले के पास खींच कर किया जा सकता है, लेकिन इसांनो को चाहिए, कि वो अपने रिश्ते को सहेज कर रखें और उन्हें समेट कर रखें|
अगर कोई आपसे दूर हो गया है तो उस रिश्ते में प्यार का रस डालिए, और उस रिश्ते को  हराभरा रखिये,और उसे अकेलपन के अहसास से बचाऐं|||
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     🌱 मनु ✍🏻

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