बीते यादों के झरोखों से अंतिम भाग


समय के साथ बीती यादें भी पीछे छूट गयी।
...........मैं पापा की अंतिम इच्छा को पूरा करने में
लग गयी।.....भगवान की दया और पापा के आशिर्वाद
से मुझे बैंक में नोकरी मिल गयी।छोटा भाई आर्यन भी
इंजीनियरिंग की तैयारी करने लगा। कुछ दिन बाद आर्यन 
की भी नोकरी लग गयी।धीरे-धीरे सब ठीक हो गया ......
............अब माँ भी हमे देख के खुश रहने लगी।
            बदलते वक्त के साथ गुजरे हुए पल की यादें एक
दिन......"अचानक".. ताजा हो गयी।
  जब     मेरे एक रिश्तेदार  मेरे लिये शादी का रिश्ता
      लेकर आये। और माँ से बोले अंजली के लिए एक
बहुत ही अच्छा लड़का है नज़र में................
      तो माँ बोली ठीक है ।बात आगे बढाइये अब उसकी
उम्र भी हो गयी है शादी करने की............।
                   एक दिन ऐसा आया कि मैं आकाश की 
दुल्हन बन गयी । दिल के एक कोने में मानस की याद भी
बसी थी। ****........... ...............
                              आकाश बहुत ही अच्छे इंसान
है।वो मझे इतना प्यार दिए कि मैं अपने सारे दुख भूल
कर नई जिंदगी में खुश रहने लगी।
.......... ........आकाश  कभी भी मुझसे कोई शिकायत
नहीं रखते थे । वक़्त के साथ हमारी ज़िंदगी में एक
            खुशियाँ आयी।मैं एक लड़के को जन्म दी
.............आकाश खुशी से झूम उठे .......उन्होंने कहा 
अंजली तुमने मुझे ज़िंदगी का सबसे कीमती तोहफा
दिया है..............
                          हमारी ज़िंदगी बहुत अच्छी बीत
रही थी।  मैं हमेशा भगवान से मनाती कि हमारी खुशी
को किसी की नज़र ना लगे..........................।एक दिन माँ ने फोन किया आर्यन के लिए एक रिश्ता आया ह मैं बोली .........ये तो बहुत खुशी की बात है । फिर हमलोग
आर्यन की शादी में जाने की तैयारी करने लगे।
  हम ग्वालियर आये ।.....  माँ.....हमें देख कर रोने लगी और बोली आज अगर तेरे पापा होते तो कितना खुश होते
..........मैं भी अपने आंसू रोक ना पायी। आकाश हमें 
समझाने लगे।
   आर्यन की भी शादी हो गई वो भी अपने परिवार
के साथ खुशी-खुशी रहता था ,"माँ" कुछ दिन मेरे पास
रहती तो कुछ दिन आर्यन के पास रहती .......।
                        कभी-कभी सोचती पता नहीं मानस
कहाँ होगा उसकी शादी हुई कि नहीं , परंतु बस सोच के
रह जाती।
................."मम्मी"........"मम्मी"......मैं चोंक गयी।
मेरा बेटा मुझे ट्रेन में देखकर चिल्ला रहा था।
...............****तब मेरा ध्यान टुटा.....।
          कहाँ खो गई थी मैं......................बीते......
                 यादों के झरोखों में..................।
                  (समाप्त)                 ऋचा कर्ण😊,✍✍

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