मां का टाइपराइटर......?
टाइपराइटर
हां
टाइपराइटर
टाइपराइटर ही तो बन गयीं हैं
मां........... हम सब के लिए ।
मां की अनकही बातों को,
माँ के दिल में, छुपे दर्द को,
हम सब भाई बहिन के हाव भाव में
स्पष्ट......! देखा जा सकता है।
मानो माँ ने प्यार से ,
अपनी ममता भरी नाज़ुक
उँगलियों से टंकित कर दिये हों
टक...टक....टक ....टक....
एक..... एक............ शब्द.।
हमारे दिल और दिमाग़,
हमारी पेशानियों....... पर ।
स्पष्ट पढ़ी जा सकती है,
उनके प्यार की अमिट छाप।
सच मुच इंसानी टाइपराइटर
बन गयी हैं मेरी माँ........
वो करती हैं हमारी देखभाल
उनकी सेवा, उनका ख़्याल
और क्या हम कर पा रहे हैं ?
किन रास्तों में, हम जा रहे हैं?
क्या कभी हम बन पाए ?
टाइपराइटर.................?
माँ जैसा....................?
माँ का टाइप राइटर.......
सर्वाधिकार सुरक्षित
@भूपेंद्र चौहान “राज”
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