महंगाई
आम आदमी पर पड़ी, मंहगाई की मार।
पेट्रोल का दाम भी , अब हुआ सौ के पार।।
बेलगाम बढ़ने लगा, खाने वाला तेल।
लाकडाउन से जिंदगी, बनी हुई है जेल।।
हर दिन होते जा रहे, मंहगे आटा दाल।
भाव देखकर हो गये, आज टमाटर लाल।।
लौकी कद्दू भी कहें, हम भी हैं अनमोल।
आम खास बन कर कहें, हमें सोच कर तोल।।
भिंडी टिंडे हो गये, अब गरीब से दूर।
बतलाओ सरकार अब, क्या खाए मजदूर।।
हरा करेला कह रहा, करो न हमसे आस।
हम भी अब से हो गये, धनवानों के खास।।
इस मंहगाई से, बढ़ा बजट का भार।
भोजन भी मुश्किल हुआ, सोचो कुछ सरकार।।
श्वेता कर्ण
Comments
Post a Comment