अकेलापन



अकेलेपन में मैं अक्सर प्यार के गीत गुनगुनाया करता हूं
सुरीले गीतों की सिढीयां चढ़ ख्वाब संजोया करता हूं।
अकेला होकर भी  मैं कहां अकेला होता हूं
हंसना मुस्कुराना प्यार लूटाना ही सीखा मैंने
ना कभी मैं रोता हूं
ख्वाबों की दुनिया सजा
दिल्लगी के मैले में खोया रहता हूं
अकेला होकर भी मैं कहां अकेला होता हूं।
अकेला होकर भी मैं कहां अकेला होता हूं।।

अकेलेपन में ख्वाबों में अक्सर आती है
मखमली लिबास में महबूबा लपेटे हुए प्यार
वो गुलाब की भिन्नी भिन्नी खुश्बू गजरे की महकती बयार
उंगली के पोरों की मिठी छुअन जैसे हो मिठी कटार
बिन छुए अधरों को अधरों से बरसती है मधुर प्रेम रस धार
वो कातिल नजरें बंद आंखों से हुस्न का दीदार
जल उठते हैं शोले दिल में लिए प्यार की अंगार
जब अकेलेपन में ख्वाबों में अक्सर आती है
वो दिलरूबा सज संवर कर सोलह श्रृंगार
अंतर्मन में घुल जाती हैं
होले होले छन छन छन छन  गुंजती पायल की झंकार
मायूसी की जलती है होली
बरसते हैं ओस के मोती दिल में लिए प्यार की फुहार
भीग जाता हूं ऐसे जैसे दिल की सुखी जमीं पर छाई हो सावन बहार
तन्हाई में प्रेम की नदियों से बहता है बस प्यार ही प्यार।।

अकेलेपन में मैं अक्सर प्यार के गीत गुनगुनाया करता हूं
सुरीले गीतों की सिढीयां चढ़ ख्वाब संजोया करता हूं।
अकेला होकर भी मैं कहां अकेला होता हूं
हंसना मुस्कुराना प्यार लूटाना ही सीखा मैंने
ना कभी मैं रोता हूं
ख्वाबों की दुनिया सजा
दिल्लगी के मैले में खोया रहता हूं
अकेला होकर भी मैं कहां अकेला होता हूं
अकेला होकर भी मैं कहां अकेला होता हूं।।
पिंटू कुमावत'श्याम दिवाना'🙏🙏💐💐

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