बंधन

कर श्रृंगार खड़ी दरवाजे
कर प्रीतम की आस में
लगा महावर बजते पायल
यौवन के उल्लास में
पीहर में उड़ती चिड़िया सी
बंधन बंधी उदास सी
बेटी बनती बन चिड़िया जो
रहती आस पास में
उड़ी गगन में नील व्योम में
बंधी बंधन की श्वास में 
संध्या पंवार राजस्थान

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