बालमन का सपना
माँ, मैंने कल सपना देखा।
सूरज के कांँधे पर चढ़कर
भोर - किरन का डेरा देखा,
माँ ,मैंने कल सपना देखा।
तितली के संग उड़ते उड़ते
फूलों को बहुतेरा देखा,
माँ मैंने कल सपना देखा।
नदियों के संग बहते- बहते
सागर भीतर मोती देखा,
माँ ,मैंने कल सपना देखा।
चंदा के संग चलते -चलते
अटल खड़ा ध्रुव तारा देखा,
माँ ,मैंने कल सपना देखा।
सूरज, सागर, तितली, नदिया,
चंदा से भी प्यारा देखा,
दोनों बाँहों को फैलाए
तेरा हँसता चेहरा देखा
माँ मैंने कल सपना देखा।
मीनू 'सुधा'
स्वरचित
पूर्णतया मौलिक
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