मन चिंतन
मन आज बहुत व्यथित है,
स्वयं से चिंतित है.......।
कैसे कहूँ प्रसन्न हूँ,
सत्य ये असत्य है.....।
मन आज बहुत व्यथित है।
उपेक्षाओं के ज़हान में,
सहनशीलता के मुस्कान में.....।
आत्मा बहुत पीड़ित है,
मन आज बहुत व्यथित है....।
मन देता स्वयं को आस,
मत हो तू,उदास
ना कोई तुमसे भिन्न,
सब है यहाँ प्रश्नचिन्ह..............।
मन आज बहुत व्यथित है..।
ऋचा कर्ण✍✍
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