तूफान जो उठा


तूफान जो उठा तिश्नगी का
जिन्दगी के मायने बदल गये,
चिन्ता जो हुयी भविष्य की
जीने के तरीके बदल गये,
आँखें जो दूरदर्शी हुयी
हमसफर हौले से बदल गये,
लगा जिसको भी अब ये न रूकेगा
अचानक उसके विचार बदल गये,
स्वीकार न सके लोग अलगाव को
कहते रहे,इसके तो तराने बदल गये,
कर भरोसा वो लगा रहा खुद पर
जग में जाने कितने जिगरी बदल गये,
हुआ असफल और गिरा भी बहुत
जमाने के तो जैसे अरमाँ सफल भये,
उठा, और शक्ति इकट्ठा की
नकारात्मक विचार खुद निकल गये,
इस बार जो तबियत से मारा तीर
सफलता के पैमाने बदल गये,
लहरा चुका था वो परचम अपना
लोग भी फिर हौले से बदल गये,
विश्वास हमें भी इस पर खूब था
कहते हुये, उसी में आकर मिल गये,
ये उगते सूरज की सलामी का है जग
अंधेरी रातों की मेहनत सब भूल गये,
स्वीकारते हैं हौले से सब चमक उसकी
जो हालातों से लड़कर,उनकों बदल गये....।

स्वरचित व मौलिक✍
सुमित सिंह पवार "पवार"
उत्तर प्रदेश पुलिस
आगरा

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