सुबह का नजारा

स-सूर्य की रश्मियों के संग वो सुबह का नजारा था।
ब-वायु धीमी,व्योम निर्मल और वो नदी का किनारा था।।

ह-हमारे उस गांव का दृश्य बड़ा ही अनुपम और प्यारा था।
क- कुहू-कुहू   कोयल का  मधुर मधुर संगीत प्यारा था।।

न-नृत्य करती मोर बारिस संग मदमस्त हो जाती थी।
ज-जहां मैं स्वयं को प्रकृति से जुड़ा हुआ महसूस करती थी।।

राहें बेशक पथरीली थी लेकिन प्रेम और अपने पन का संदेश देती थी।
थ-था प्रेम आपस में सभी का ऐसा इक गांव हमारा था।।

शीला द्विवेदी "अक्षरा

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