विश्व तंबाकू निषेध दिवस

पावन पवित्र शरीर तुम्हारा ,
क्यों नशे की आदत पालते हो ।
सिगरेट बीड़ी का धुआं उड़ा ,
अपनी शान बखारते  हो ।
पावन पवित्र शरीर तुम्हारा।।
कहते हो चिंता ने घेरा ,
खुश हूं आज जन्मदिन तुम्हारा ।
मौसम है सुहाना, चलो गाय कोई तराना,
 चलो आओ दो पैग लगा लेते हैं ।
 मिल जाए कोई बहाना ।
 पावन पवित्र शरीर तुम्हारा
 गुटखा ,जर्दा ,पान मसाला खाते हो ,
 कैंसर जैसी बीमारी लाते हो ।
 गाल गलाते ,गुटखा खाकर ,
 दारू पीकर करते लीवर ,किडनी खराब ।
 जागो ए मानव तुम जागो ,
 क्यों करते अत्याचार अपने साथ।
 पावन पवित्र शरीर तुम्हारा ,
क्य इसमें तुम जहर घोलते ।
 घरवाले जब हो जाए परेशान,
  जां पर जब आ जाए बात ।
  छोड़ो बीड़ी ,तंबाकू ,शराब,
   गांजा ,सुल्फा, गुटका यार ।
   तुम हो ईश्वरीय संतान ,
   क्या इनका काम तुम्हारे पास।।

                   दिल की कलम से

                   मधु अरोड़ा
                   

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