खामोशी
खामोश जिंदगी है
खामोश है जमाना!
अरे मुझको मेरे प्यारो जरा कुछ तो तुम बताना!
बच्चा भी गुमशुम है
बचपन कहाँ बताना ।
माता की आँखे चुप है
बेटो जरा बताना ।
हर गाँव हर गली में
गुम सुम है दाना दाना ।
पत्नी भी बोलती थी
पर चुप है क्यू बताना ।
गुड़ियों की इस जमी पर
कमी क्यू हुई बताना।
भाई का भाई सब है
पर साथी क्यू बनाना ।
जिंदा है जिंदगी में
खामोश क्यू जमाना ।
लाखों थी ख्वाइशें पर
आज चुपचाप है जमाना ।
संध्या पंवार
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